तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥ जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥ वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥ त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥ शिव के चरणों में मिलते हैं सारी तीरथ चारो धाम श्री गणेश गिरिजा https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa